भारतीय कॉर्पोरेट जगत में हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सामने आया है, जो संभावित रूप से बाजार की दिशा बदल सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने Tata Sons को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग से छूट देने के टाटा समूह के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। इसका मतलब है कि Tata Sons को 2025 तक अपना आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) लाना होगा, जिससे इस समूह की कंपनियों के शेयरों में तेज़ी देखी गई है।
आरबीआई का निर्णय: टाटा संस को लिस्टिंग की अनिवार्यता
आरबीआई ने Tata Sons को Upper Layer NBFC के रूप में वर्गीकृत किया है। यह वह श्रेणी है जिसमें ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) आती हैं, जिन्हें अधिक निगरानी और नियमों के तहत रखा जाता है। ऐसी सभी कंपनियों को सितंबर 2025 तक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध (लिस्ट) होना अनिवार्य होता है। Tata Sons, जो कि टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है, को इस नियम के तहत स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होना होगा।
टाटा समूह ने इस लिस्टिंग से छूट माँगी थी, लेकिन आरबीआई ने इसे ठुकरा दिया। इसका असर तुरंत टाटा समूह की कंपनियों पर पड़ा, और कई कंपनियों के शेयरों में बढ़त देखी गई।
टाटा समूह के स्टॉक्स में तेज़ी
इस खबर के बाद सोमवार, 21 अक्टूबर 2024 को टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों के स्टॉक्स में बड़ी तेजी देखने को मिली। सबसे ज्यादा लाभ में Tata Chemicals का स्टॉक रहा, जिसमें ट्रेडिंग के दौरान 14% तक की वृद्धि हुई, और बाजार बंद होने तक यह 8.73% बढ़कर ₹1183 पर बंद हुआ। इसके अलावा, Tata Investment के स्टॉक्स में भी अच्छी वृद्धि हुई, जिसमें 9% तक की तेजी आई और यह ₹7059.80 पर बंद हुआ। अन्य प्रमुख कंपनियों जैसे Tejas Networks में 11.04% और Tata Coffee में 3.57% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
Tata Sons का आईपीओ: एक ऐतिहासिक अवसर
आरबीआई के इस निर्णय के बाद, अब यह तय है कि Tata Sons को सितंबर 2025 तक अपने आईपीओ के जरिए स्टॉक एक्सचेंज पर आना होगा। Tata Sons पर वर्तमान में ₹20,270 करोड़ का कर्ज है, और अगर वह इस कर्ज को घटाकर ₹100 करोड़ से कम कर देती है, तो उसे Upper Layer NBFC की श्रेणी से बाहर लाया जा सकता है। लेकिन यह प्रक्रिया काफी जटिल हो सकती है, इसलिए संभावनाएं हैं कि Tata Sons IPO के जरिए ही इस समस्या का समाधान निकालेगी।
Tata Sons का मूल्यांकन (Valuation):
एक अनुमान के अनुसार, Tata Sons की बाजार वैल्यू लगभग ₹11 लाख करोड़ हो सकती है। अगर कंपनी अपने आईपीओ में 5% हिस्सा बेचती है, तो इसका आईपीओ साइज ₹55,000 करोड़ के आसपास हो सकता है। यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ बन सकता है। तुलना करें तो, हाल ही में आए Hyundai Motor India के आईपीओ का साइज ₹27,870 करोड़ था, जो Tata Sons के संभावित आईपीओ का आधा है।
बाजार पर संभावित प्रभाव
Tata Sons के आईपीओ की खबर से निवेशकों में जबरदस्त उत्साह है। इस आईपीओ के आने से भारतीय स्टॉक मार्केट में नई ऊँचाइयाँ देखने को मिल सकती हैं।Tata Sons के आईपीओ का साइज और इसके संभावित प्रभाव को देखते हुए यह भारतीय बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण घटना हो सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस आईपीओ के जरिए Tata Sons अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और कर्ज को कम करने की योजना बना रही है। टाटा समूह की कंपनियों के स्टॉक्स में पहले ही उछाल आ चुका है, और भविष्य में और भी संभावनाएं बन रही हैं कि जैसे-जैसे आईपीओ की तारीख नज़दीक आएगी, निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जाएगी।
निष्कर्ष
टाटा संस का आईपीओ भारतीय बाजार के लिए एक बड़ी घटना साबित हो सकता है। यह न केवल भारत का सबसे बड़ा आईपीओ बन सकता है, बल्कि निवेशकों को भी इसमें भारी मुनाफे की संभावनाएं दिख रही हैं। आरबीआई के इस फैसले ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि टाटा संस को अपने निवेशकों के साथ जुड़ने का मौका मिलेगा और इससे टाटा समूह की ताकत और भी बढ़ सकती है।