3 अक्टूबर 2024 को भारतीय share market में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया और बाजार में अस्थिरता का माहौल बना दिया। इस दिन सेंसेक्स में 1769.19 तथा निफ़्टी में 546.80 अंकों की गिरावट आई,यह गिरावट 2 प्रतिशत से अधिक का रहा,जबकि निफ्टी 2% से अधिक टूट गया। इस गिरावट के कई प्रमुख कारण रहे, जिनमें वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, और भारतीय बाजार के लिए नए नियम शामिल थे।
मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव
share market पर मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष ने गहरा असर डाला। 1 अक्टूबर को ईरान ने इज़राइल पर 200 मिसाइलें दागी थीं, जिसके बाद इज़राइल ने जवाबी हमले किए। यह संघर्ष और बढ़ सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई। खासकर तेल आपूर्ति में बाधा की आशंका से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई, जो भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक साबित हो सकती है। इस संकट के चलते निवेशकों में अनिश्चितता और भय बढ़ गया, जिससे उन्होंने भारतीय शेयरों से दूरी बनाना शुरू कर दिया। और share market में तेजी से गिरावट दर्ज की गई
कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि हुई। Brent crude की कीमतों में लगभग 1.24% की वृद्धि दर्ज की गई और यह $74.82 प्रति बैरल तक पहुंच गई। भारत जैसे देशों के लिए, जो अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करते हैं, यह एक गंभीर चुनौती है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से आयात लागत बढ़ती है, जिससे देश की मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ता है और सरकार को महंगाई को नियंत्रित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति बाजार की धारणा पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है, जिससे निवेशकों ने बड़ी संख्या में शेयर बेचना शुरू कर दिया। और share market में तेजी से गिरावट दर्ज की गई
रुपये में गिरावट
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कमजोरी भी share market में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण रही। रुपये की विनिमय दर में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है, खासकर तेल और अन्य वस्तुओं का आयात। 3 अक्टूबर को रुपये में 6 पैसे की गिरावट दर्ज की गई, और यह 83.75 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा की इस गिरावट ने भारतीय share market को और भी कमजोर बना दिया, जिससे निवेशकों की बेचैनी बढ़ी और उन्होंने जोखिम भरे निवेश से बचने के लिए बाजार से बाहर निकलने का फैसला किया।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार में भारी बिकवाली की। चीन में आर्थिक सुधार और वहां की बाजार स्थितियों के अनुकूल होने से निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकालकर चीनी बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। चीन की आक्रामक आर्थिक प्रोत्साहन योजनाओं और share market में सुधार के कारण वहां के स्टॉक्स की कीमतें आकर्षक हो गई हैं, जिससे विदेशी निवेशकों ने भारत की तुलना में चीन को प्राथमिकता दी।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी बाजार की बेहतर प्रदर्शन और सस्ते शेयर कीमतों ने निवेशकों को आकर्षित किया, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों को बेचकर वहां निवेश किया। इसके चलते भारतीय बाजार में भारी बिकवाली देखी गई, जिसने सेंसेक्स और निफ्टी को काफी प्रभावित किया। FIIs की इस बिकवाली का असर लंबे समय तक बना रह सकता है, जिससे भारतीय बाजार में और अस्थिरता देखी जा सकती है।
SEBI के नए नियम
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए नए और सख्त नियम लागू किए हैं, जिनका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ा। SEBI के नए दिशानिर्देशों में फ्यूचर और ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग में एंट्री को कठिन बना दिया गया है और ट्रांजैक्शन की लागत बढ़ा दी गई है। इसके अलावा, हफ्ते में केवल एक विकल्प ट्रेड करने की अनुमति दी गई है, जिससे ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी आई है। इन नियमों से बाजार में सहभागिता कम होने