NPS vs OPS (National Pension Scheme vs Old Pension Scheme) भारत में पेंशन के दो प्रमुख प्रकार हैं। राष्ट्रीय पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना (NPS vs OPS) के बीच मुख्य अंतर इस प्रकार है:
परिभाषा और संरचना(NPS vs OPS)
NPS (राष्ट्रीय पेंशन योजना )यह एक योगदान आधारित पेंशन योजना है, जिसे सरकार ने 2004 में शुरू किया। इसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से योगदान किया जाता है।यह मुख्य रूप से निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए है।इसमें योगदान किए गए पैसे को विभिन्न निवेश योजनाओं में लगाया जाता है, और सेवानिवृत्ति के समय इसका एक हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाता है।
OPS (पुरानी पेंशन योजना)यह एक परिभाषित लाभ योजना (Defined Benefit Scheme) थी, जो सरकारी कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जाती थी।इसमें कर्मचारियों को एक सुनिश्चित पेंशन मिलती थी, जो उनकी अंतिम वेतन पर आधारित होती थी।इसमें किसी प्रकार का योगदान कर्मचारी की तरफ से नहीं होता था।
योगदान और निवेश(NPS vs OPS)
NPS में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान किया जाता है। यह योगदान एक पेंशन फंड में जमा किया जाता है, जिसे विभिन्न निवेश विकल्पों में निवेश किया जाता है।
पेंशन राशि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, जिससे इसकी वापसी का मूल्य बाजार से प्रभावित होता है।
OPS में कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित पेंशन राशि दी जाती थी, जो कर्मचारी के सेवा के अंतिम वेतन पर आधारित होती थी।इसमें कोई निवेश योजना या बाजार जोखिम नहीं होता था, और पेंशन राशि स्थिर रहती थी।
पेंशन की राशि (NPS vs OPS)
NPS के तहत सेवानिवृत्ति के समय जमा किए गए फंड का एक हिस्सा निकालने की अनुमति होती है और शेष राशि से वार्षिकी खरीदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे नियमित पेंशन मिलती है, परंतु यह फंड के मूल्य और बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।
OPS के तहत कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के समय एक निश्चित मासिक पेंशन दी जाती थी, जो कर्मचारी के सेवा के अंतिम वेतन पर आधारित होती थी। इसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होता था।
रिटर्न की गारंटी (NPS vs OPS)
NPS में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती क्योंकि निवेश बाजार से जुड़ा होता है। बाजार की स्थिति के अनुसार रिटर्न में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
OPS में रिटर्न की पूरी गारंटी होती थी। सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन निश्चित होती थी और वह बाजार से प्रभावित नहीं होती थी।
लाभार्थी की सुरक्षा (NPS vs OPS)
NPS में सेवानिवृत्ति के समय जमा की गई राशि से कर्मचारी को पेंशन मिलती है, लेकिन इसमें बाजार जोखिम भी शामिल होता है।
OPS में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने एक सुनिश्चित पेंशन मिलती थी, जो उनके जीवन भर चलती थी। इसमें कोई बाजार जोखिम नहीं होता था।
कर लाभ ( Tax Benefit NPS vs OPS)
NPS में निवेश पर कर छूट उपलब्ध है, और सेवानिवृत्ति के समय भी कुछ हद तक कर छूट का लाभ मिलता है।
OPS में कर छूट के प्रावधान सीमित थे, क्योंकि इसमें योगदान की आवश्यकता नहीं थी।
लचीलापन (NPS vs OPS)
NPS में कर्मचारियों को निवेश के विकल्पों में लचीलापन मिलता है। वे अपने फंड को इक्विटी, सरकारी बॉन्ड, और कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे विभिन्न निवेश विकल्पों में विभाजित कर सकते हैं।कर्मचारी अपने निवेश को समय-समय पर बदल सकते हैं, जिससे उन्हें अपने जोखिम और रिटर्न को नियंत्रित करने का अवसर मिलता है।
OPS में निवेश का कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि यह पूरी तरह से सरकार द्वारा संचालित योजना थी। इसमें कर्मचारियों को अपनी पेंशन के लिए कोई निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं होती थी।
नियोक्ता का योगदान (NPS vs OPS)
NPS के तहत, नियोक्ता (सरकार या निजी कंपनियां) कर्मचारी की सैलरी के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत का योगदान करते हैं। केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए 10% का योगदान करती है (कुछ मामलों में 14% तक)।
OPS में नियोक्ता का कोई प्रत्यक्ष योगदान नहीं होता था, क्योंकि यह योजना सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित थी। कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन का भुगतान सीधे सरकारी कोष से किया जाता था।
पेंशन मिलने की प्रक्रिया (NPS vs OPS)
NPS के तहत, सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी को अपने फंड का 60% हिस्सा निकालने की अनुमति होती है। शेष 40% का उपयोग वार्षिकी (Annuity) खरीदने के लिए किया जाता है, जिससे कर्मचारी को नियमित पेंशन मिलती है।इससे पेंशन राशि व्यक्ति के जीवनकाल तक चलती रहती है, लेकिन यह राशि उस समय के वार्षिकी दर और निवेश पर निर्भर होती है।
OPS के तहत, कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद मासिक पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है, जो उसके अंतिम वेतन का 50% होती थी। यह पेंशन जीवन भर मिलती रहती थी, और इसमें कोई बाजार जोखिम नहीं होता था।
पेंशन का हस्तांतरण
NPS में यह लाभ है कि यह एक पोर्टेबल योजना है। यदि कर्मचारी अपनी नौकरी बदलता है, तो वह अपने NPS खाते को नए नियोक्ता के साथ जारी रख सकता है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र (सरकारी या निजी) में काम कर रहा हो। यह एक बड़ी सुविधा है, खासकर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए।
OPS केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए था, और इसमें पेंशन का लाभ केवल सरकारी सेवाओं तक ही सीमित रहता था। यदि कर्मचारी नौकरी बदलता था और सरकारी सेवा से बाहर जाता था, तो OPS का लाभ नहीं मिलता था।
बाजार जोखिम और स्थिरता (NPS vs OPS)
NPS में निवेश बाजार पर आधारित होता है, इसलिए इसमें कुछ जोखिम जुड़े होते हैं। इक्विटी बाजार के उतार-चढ़ाव के कारण पेंशन की राशि भी बदल सकती है। हालांकि, लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश करने से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
OPS में कोई बाजार जोखिम नहीं होता था, क्योंकि यह योजना सरकार द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित थी। कर्मचारी को अपने अंतिम वेतन के आधार पर एक स्थिर और सुनिश्चित पेंशन मिलती थी।
परिवार के लिए लाभ (NPS vs OPS)
NPS के तहत, यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसका NPS खाता उसके नामांकित (Nominee) को हस्तांतरित किया जा सकता है। लेकिन इसमें कोई गारंटीड पेंशन योजना नहीं होती है।
OPS में यदि कर्मचारी की मृत्यु हो जाती थी, तो उसके परिवार को पेंशन का लाभ मिलता था। इसमें परिवार के लिए गारंटीड पेंशन मिलती थी, जो जीवनभर चलती थी।
समीक्षा
कुछ लोग NPS की आलोचना करते हैं कि यह पुरानी पेंशन योजना जितनी सुरक्षित नहीं है क्योंकि यह बाजार आधारित है। लेकिन यह योजना भविष्य के वित्तीय दबावों को कम करने के उद्देश्य से बनाई गई है।
OPS को लेकर यह आलोचना थी कि यह सरकारी वित्त पर बड़ा भार डालती थी, क्योंकि यह योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित थी और इसमें कोई योगदान प्रणाली नहीं थी। लिंक
निष्कर्ष
NPS आधुनिक निवेश आधारित योजना है, जिसमें बाजार से संबंधित जोखिम होते हैं, लेकिन इसमें लचीलापन और पारदर्शिता है। यह योजना निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों को कवर करती है और लंबी अवधि के लिए उपयुक्त हो सकती है।
OPSपुरानी पेंशन योजना थी, जिसमें कर्मचारियों को अंतिम वेतन के आधार पर निश्चित पेंशन मिलती थी, और यह अधिक सुरक्षित और स्थिर मानी जाती थी। हालांकि, इसे दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए कम प्रभावी माना गया।