Midcap और बाजार की चाल पर नीलेश सुराणा के विचार 2024

भारतीय शेयर बाजार में निवेशक अक्सर Midcap और स्मॉलकैप शेयरों को जोखिम भरा मानते हैं। लेकिन मिरे एसेट्स इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के मुख्य निवेश अधिकारी, नीलेश सुराणा, का मानना है कि इन क्षेत्रों में अवसर भी मौजूद हैं। एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था, बाजार की अनिश्चितताओं और निवेश की रणनीतियों पर अपने विचार साझा किए।

Midcap: जोखिम या अवसर?

नीलेश सुराणा के अनुसार, Midcap शेयरों को जोखिम भरा समझा जाता है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में इनकी विविधता और प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ है। संगठित क्षेत्रों में बढ़ते कदम, मजबूत निवेश और IPO की बढ़ती पेशकशों ने Midcap के विस्तार में योगदान दिया है।

Midcap का महत्व: Midcap क्षेत्र में कई मूल्यवान कंपनियां हैं जो अपने उद्योग में अग्रणी हैं।

जोखिम को कम करने की सलाह: निवेशकों को SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के माध्यम से भागीदारी करनी चाहिए। लार्जकैप, फ्लेक्सीकैप, और मल्टीकैप फंड्स का उपयोग करते हुए Midcap का हिस्सा पोर्टफोलियो में जोड़ा जा सकता है।

बाजार की गिरावट और उसके कारण

हाल की गिरावट को वैश्विक कारकों और FII (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की बिकवाली से जोड़ा गया है। साथ ही, सितंबर तिमाही के कमजोर परिणाम भी गिरावट के प्रमुख कारण रहे।

दीर्घकालिक दृष्टिकोण: भारतीय इक्विटी पर सुराणा सकारात्मक बने हुए हैं।

मूल्यांकन के दृष्टिकोण से: बैंकिंग, कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी, हेल्थकेयर और मेटल सेक्टर में उचित मूल्यांकन के साथ अवसर मौजूद हैं।

आय वृद्धि की स्थिरता: मजबूत आर्थिक नींव और कंपनियों की अच्छी बैलेंस शीट आय वृद्धि को बनाए रखने में सहायक होंगी।

निवेशकों को सलाह: इंतजार या सक्रियता?

सुराणा का मानना है कि घरेलू निवेशकों की भूमिका बाजार में स्थिरता बनाए रखने में अहम है। हर महीने SIP के जरिए लगभग 3 अरब डॉलर बाजार में आ रहे हैं, जो अल्पावधि में उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद करते हैं।

अनुशासन बनाए रखें: लंबी अवधि के निवेशकों को अनुशासन और परिसंपत्ति आवंटन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

रिटर्न की अपेक्षाएं घटाएं: चूंकि बाजार का मूल्यांकन उचित है लेकिन सस्ता नहीं, निवेशकों को नरम रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए।

आने वाले वर्षों में आय वृद्धि का दृष्टिकोण

सुराणा का मानना है कि 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत मिलेंगे।

वृद्धि के कारक:

  1. आम खपत में वृद्धि
  2. सरकारी खर्च की बहाली
  3. वैश्विक स्थिरता में सुधार

वर्तमान चुनौतियां: 2024-25 की पहली छमाही में चुनाव, कम सरकारी खर्च और वैश्विक अनिश्चितताओं ने आय वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग

सुराणा ने स्पष्ट किया कि AI और मशीन लर्निंग जैसे उपकरण विश्लेषण में सहायक हैं, लेकिन वे फंड मैनेजमेंट के जटिल और निर्णयात्मक पहलुओं की जगह नहीं ले सकते।

उपयोग: रिसर्च टूल्स के रूप में विश्लेषकों को सहायता देना।

सीमाएं: निवेश में मानव भावनाओं (जैसे लोभ और भय) और अनुशासन को प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है, जो मशीनें आसानी से नहीं कर सकतीं।

हाल की निवेश रणनीतियां

पिछले कुछ महीनों में सुराणा की टीम ने निम्नलिखित रणनीतियां अपनाईं:

  1. पोर्टफोलियो का विविधीकरण: उच्च मूल्यांकन वाले शेयरों से दूरी रखते हुए उचित मूल्यांकन वाले शेयरों पर ध्यान केंद्रित किया।
  2. प्रमुख क्षेत्र: वित्तीय, कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी, हेल्थकेयर और मेटल सेक्टर के शेयरों में ओवरवेट पोजीशन ली।
  3. जोखिम-प्रतिफल अनुपात: ऐसे शेयर चुने जो बेहतर जोखिम-प्रतिफल अनुपात प्रदान करते हों। लिंक

निष्कर्ष

नीलेश सुराणा का यह दृष्टिकोण बाजार के प्रति संतुलित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। उनका मानना है कि बाजार में अल्पावधि की अनिश्चितताओं से घबराने की आवश्यकता नहीं है।

SIP जैसी रणनीतियां लंबी अवधि में सकारात्मक परिणाम दे सकती हैं।

Midcap और स्मॉलकैप में भी सही कंपनियों का चयन कर बेहतर अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं।

अनुशासन और धैर्य के साथ निवेशक बाजार के उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं।

इस प्रकार, सुराणा का निवेश का तरीका सतर्क और अवसरवादी दोनों है, जो बाजार के विभिन्न चक्रों में सफलता की कुंजी हो सकता है

डिस्‍क्‍लेमर:

शेयर बाजार में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। इस आर्टिकल का उद्देश्य वित्तीय साक्षरता प्रदान करना है, यह निवेश की सलाह नहीं है, कृपया निवेश से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से परामर्श अवश्य कर लें।

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