HDFC Bank सहित 8 बड़ी कंपनियों की Market Value में ₹1.65 लाख करोड़ की गिरावट

भारतीय शेयर बाजार के पिछले सप्ताह के उतार-चढ़ाव ने HDFC Bank सहित देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में भारी गिरावट दर्ज की। कुल मिलाकर इन कंपनियों की वैल्यू ₹1.65 लाख करोड़ घट गई। सबसे ज्यादा नुकसान HDFC Bank को हुआ, जबकि इंफोसिस ने टॉप गेनर के रूप में सकारात्मक प्रदर्शन किया।

मार्केट कैप में सबसे बड़ा नुकसान: HDFC Bank

HDFC Bank:

HDFC Bank के मार्केट कैप में हफ्ते भर में ₹46,729.51 करोड़ की गिरावट।

HDFC Bank का वर्तमान मार्केट कैप: ₹12.94 लाख करोड़।

HDFC Bank में यह गिरावट सेंसेक्स और निफ्टी में कमजोरी के चलते हुई।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI):

₹34,984.51 करोड़ का नुकसान।

वर्तमान मार्केट कैप: ₹7.17 लाख करोड़।

कमजोर निवेश धारणा और बैंकिंग सेक्टर पर दबाव के कारण गिरावट।

अन्य कंपनियां जिनके मार्केट कैप में गिरावट आई:

हिंदुस्तान यूनिलीवर: कंज्यूमर सेक्टर की कमजोरी के कारण मार्केट कैप घटा।

रिलायंस इंडस्ट्रीज, ITC, भारती एयरटेल, LIC, और ICICI बैंक: इन कंपनियों की वैल्यू में भी गिरावट हुई।

इंफोसिस और TCS ने दिखाया सकारात्मक प्रदर्शन

इंफोसिस:

₹13,681.37 करोड़ का लाभ।

मार्केट कैप: ₹7.73 लाख करोड़।

मजबूत तिमाही नतीजों और आईटी सेक्टर में स्थिरता ने इंफोसिस को टॉप गेनर बनाया।

TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज):

₹416.08 करोड़ की मामूली बढ़त।

वर्तमान मार्केट कैप: ₹15 लाख करोड़।

अपनी स्थिर आय और मजबूत क्लाइंट बेस के कारण बढ़त हासिल की।

सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का प्रभाव

सेंसेक्स:

पिछले सप्ताह में 1,906.01 अंक (2.39%) की गिरावट।

अंतिम बंद स्तर: 77,580 अंक।

निफ्टी:

26 अंकों की गिरावट।

अंतिम बंद स्तर: 23,532 अंक।

छोटी और मझोली कंपनियों का प्रदर्शन:

BSE स्मॉलकैप में 429 अंकों की तेजी, अंतिम बंद स्तर 52,381।

स्मॉलकैप और मिडकैप में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन देखा गया।

सप्ताह के प्रमुख सेक्टोरल रुझान

गिरावट वाले सेक्टर:

FMCG सेक्टर: 1.53% की गिरावट।

कंज्यूमर उत्पादों की मांग में कमी और उच्च लागत के कारण दबाव।

तेजी वाले सेक्टर:

मीडिया सेक्टर: 2.26% की बढ़त।

मीडिया कंपनियों में बढ़ी हुई विज्ञापन आय और बेहतर दर्शक आंकड़ों से फायदा।

मार्केट कैपिटलाइजेशन: क्या है और कैसे काम करता है?

मार्केट कैप किसी कंपनी की सार्वजनिक रूप से पर्सीव्ड वैल्यू को मापने का एक तरीका है। इसे कंपनी के जारी शेयरों की संख्या और शेयर की मौजूदा कीमत को गुणा करके निकाला जाता है।

महत्त्व:

यह कंपनी की साइज, स्टेबिलिटी और पोटेंशियल ग्रोथ को दर्शाता है।

इसे कंपनियों को लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में वर्गीकृत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।


मार्केट कैप में वृद्धि और गिरावट कैसे होती है?

वृद्धि के कारण:

शेयर की कीमत में बढ़ोतरी।

कंपनी के उत्पादों/सेवाओं की मांग में इजाफा।

निवेशकों का सकारात्मक रुझान।

गिरावट के कारण:

शेयर की कीमत में कमी।

तिमाही नतीजों में खराब प्रदर्शन।

कमजोर आर्थिक संकेतक और नकारात्मक निवेश धारणा।

निवेशकों के लिए संदेश

शेयर बाजार में अस्थिरता:

टॉप कंपनियों के मार्केट कैप में गिरावट दर्शाती है कि बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।

विभिन्न सेक्टर्स पर ध्यान दें:

जहां FMCG और बैंकिंग सेक्टर दबाव में रहे, वहीं आईटी और मीडिया सेक्टर ने बेहतर प्रदर्शन किया।

लॉन्ग-टर्म दृष्टिकोण अपनाएं:

बड़ी कंपनियों की अस्थायी गिरावट के बावजूद, उनके मजबूत फंडामेंटल्स और मार्केट पोजिशन उन्हें निवेश के लिए आकर्षक बनाते हैं। लिंक

Disclaimer:

शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य करें।

निष्कर्ष

पिछले सप्ताह का बाजार प्रदर्शन इस बात की ओर संकेत करता है कि निवेशक बाजार की अस्थिरता के लिए तैयार रहें। हालांकि, इंफोसिस और TCS जैसी कंपनियों ने सकारात्मक संकेत दिए हैं, जो निवेशकों को आईटी सेक्टर में अवसर प्रदान कर सकते हैं। बैंकिंग और FMCG सेक्टर में दबाव से स्पष्ट है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को विविधीकृत करने की आवश्यकता है।

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