भारतीय शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (Foreign Institutional Investors या FIIs) का निवेश हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। एफआईआई, भारत के बाहर के निवेशक होते हैं, जो भारतीय कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। एफआईआई द्वारा भारतीय बाजार में निवेश के रुझान से यह स्पष्ट होता है कि विदेशी निवेशक किस प्रकार से बाजार में विश्वास कर रहे हैं और किन सेक्टर्स में भविष्य की संभावनाएं देख रहे हैं। हाल ही में, आईटी सेक्टर की आठ बड़ी कंपनियों में एफआईआई द्वारा भारी खरीदारी की गई है, जिससे निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
TCS (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज)
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में Foreign Institutional Investors ने जून 2024 तक 12.35% की हिस्सेदारी बढ़ाई, जो 30 सितंबर 2024 तक 12.66% हो गई है। इसका मतलब है कि Foreign Institutional Investors इस कंपनी में भविष्य की संभावनाएं देख रहे हैं। टीसीएस भारतीय आईटी सेक्टर में एक प्रमुख खिलाड़ी है, और इसके वैश्विक ग्राहकों की मजबूत उपस्थिति है।
Coforge Limited
कोफॉर्ज लिमिटेड दूसरी कंपनी है जिसमें Foreign Institutional Investors ने हिस्सेदारी बढ़ाई है। 30 सितंबर 2024 तक इसकी हिस्सेदारी 42.09% तक पहुंच गई है। इसके साथ ही, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने भी कंपनी के शेयर खरीदे हैं। कोफॉर्ज अपनी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन सेवाओं के लिए जानी जाती है, जो मौजूदा तकनीकी युग में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो रही हैं।
Infosys Ltd.
इन्फोसिस भारत की एक अन्य प्रमुख आईटी कंपनी है, जिसमें Foreign Institutional Investors की हिस्सेदारी 32.74% से बढ़कर 33.28% हो गई है। कंपनी अपने तकनीकी समाधानों और ग्राहक सेवा की उच्च गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। अमेरिकी चुनाव और फेडरल रिजर्व की ब्याज दर कटौती के मद्देनजर, निवेशक इसमें और अधिक संभावनाएं देख रहे हैं।
Persistent Systems Ltd.
पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में Foreign Institutional Investors ने 22.55% से बढ़ाकर 23.34% तक अपनी हिस्सेदारी कर ली है। पर्सिस्टेंट अपनी सॉफ़्टवेयर उत्पाद और सेवाओं के लिए जानी जाती है, जो डिजिटल युग में ग्राहकों के लिए अत्यधिक उपयोगी साबित हो रहे हैं।
Tech Mahindra Ltd.
टेक महिंद्रा में Foreign Institutional Investors की हिस्सेदारी 5 तिमाहियों की गिरावट के बाद फिर से बढ़ने लगी है। 30 सितंबर 2024 तक इसकी हिस्सेदारी 23.67% तक पहुंच गई है। टेक महिंद्रा, विशेष रूप से दूरसंचार और नेटवर्क सेवाओं में अपने योगदान के लिए जानी जाती है, और अब इसके डिजिटल सेवाओं की भी भारी मांग है।
Wipro
विप्रो भी Foreign Institutional Investors की बढ़ती रुचि का गवाह बना है, जहां 30 सितंबर 2024 तक हिस्सेदारी 7.27% हो गई है। विप्रो डिजिटल सेवाओं और क्लाउड समाधान में एक मजबूत खिलाड़ी है, और इसके भविष्य में भी वृद्धि की संभावनाएं दिख रही हैं।
HCL Technologies Ltd.
एचसीएल टेक्नोलॉजीज में एफआईआई की हिस्सेदारी 18.67% तक पहुंच गई है। एचसीएल अपने इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज और क्लाउड समाधान के लिए प्रसिद्ध है, और इसके विकास में भी निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।


एफआईआई द्वारा आईटी सेक्टर में बढ़ती रुचि का कारण
वर्तमान में आईटी सेक्टर आर्थिक सुस्ती से जूझ रहा था, लेकिन अब कई घटनाओं ने इस सेक्टर को वापस उछालने के संकेत दिए हैं। इनमें अमेरिकी चुनाव, फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और तकनीकी विकास के चलते कंपनियों की बढ़ती मांग शामिल हैं। आईटी कंपनियों के लिए डिजिटलाइजेशन, ऑटोमेशन और क्लाउड सेवाओं की मांग बढ़ रही है, जिससे उनके लिए राजस्व बढ़ाने के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। साथ ही, भारतीय आईटी कंपनियों का वैश्विक बाजार में मजबूत स्थिति भी एफआईआई को आकर्षित कर रही है।
निष्कर्ष
Foreign Institutional Investors द्वारा भारतीय आईटी कंपनियों में बढ़ती हिस्सेदारी से यह स्पष्ट होता है कि विदेशी निवेशकों को भारतीय आईटी सेक्टर में भविष्य की अपार संभावनाएं दिख रही हैं। इसका मुख्य कारण डिजिटलाइजेशन की बढ़ती मांग, वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती जैसे कारक हैं। हालांकि, निवेशकों को हमेशा सलाह दी जाती है कि वे अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें और लंबी अवधि के निवेश के लिए सही रणनीति अपनाएं।
डिस्क्लेमर:
शेयर मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है।उपरोक्त जानकारी सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। निवेश करने सम्बन्धी कोई भी निर्णय लेने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करे और अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।