नोएल टाटा (Noel Tata) अब टाटा समूह के 165 अरब डॉलर के व्यापारिक साम्राज्य का नेतृत्व करेंगे, जबकि एन चंद्रशेखरन (N Chandrashekharan) टाटा संस के चेयरमैन बने रहेंगे।
आयरिश नागरिकता रखने वाले NOEL TATA की पहचान भारत से गहराई से जुड़ी हुई है। उनकी कुल संपत्ति लगभग 12,455 करोड़ रुपए है और वह कई महत्वपूर्ण टाटा कंपनियों जैसे ट्रेंट, वोल्टास, और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के अध्यक्ष हैं। नोएल के नेतृत्व में इन कंपनियों ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। उदाहरण के तौर पर, ट्रेंट के शेयरों ने एक साल में लगभग 292% रिटर्न दिया, और टाटा इन्वेस्टमेंट ने 118% की वृद्धि दिखाई।
ट्रेंट के विकास में NOEL TATA की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 1999 में जब उन्होंने कंपनी की कमान संभाली थी, तब इसके पास केवल एक स्टोर था, जो अब 890 से भी अधिक हो गए हैं। उनके नेतृत्व में कंपनी ने वेस्टसाइड, स्टार बाजार, जूडियो जैसे ब्रांड्स को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स जैसे जारा और मासिमो के साथ भी भागीदारी की है। पिछले पांच सालों में कंपनी की आय पांच गुना बढ़ी है।
NOEL TATAने वर्ष 2010 से 2021 तक टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड का नेतृत्व किया, जिसके दौरान कंपनी का राजस्व 50 करोड़ डॉलर से बढ़कर 300 करोड़ डॉलर हो गया। उन्हें 2018 में सर रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में नियुक्त किया गया, और अब उन्होंने टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली है। नोएल ने कहा कि वह टाटा समूह के संस्थापकों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस जिम्मेदारी को पाकर सम्मानित महसूस करते हैं।
NOEL TATA के सामने रतन टाटा की दृष्टि और टाटा ट्रस्ट की परंपराओं को बनाए रखने की चुनौती है। इसके साथ ही उन्हें ट्रस्ट को नए युग की चुनौतियों, जैसे डिजिटल इंडिया, स्किल डेवलपमेंट, और महिला सशक्तिकरण जैसी पहलों से जोड़ने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी।
NOEL TATAको टाटा समूह के प्रमुख के रूप में उभरने में लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी। जब 2010 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का एमडी नियुक्त किया गया, तब कई लोगों ने अटकलें लगाई थीं कि वे रतन टाटा के उत्तराधिकारी बन सकते हैं। लेकिन 2011 में टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन बनाने की घोषणा की, जिससे नोएल के भविष्य को लेकर चर्चा धीमी पड़ गई।
हालांकि, NOEL TATA ने चुपचाप अपने काम पर ध्यान दिया और अपनी नेतृत्व क्षमता को मजबूत किया। जब 2017 में एन. चंद्रशेखरन को टाटा समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया, तब भी नोएल एक प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे।
नोएल टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह की कंपनियों ने जबरदस्त प्रगति की है। ट्रेंट, जिसे वह 1999 से संभाल रहे हैं, अब टाटा समूह की चौथी सबसे बड़ी कंपनी बन गई है, टीसीएस, टाइटन, और टाटा मोटर्स के बाद। ट्रेंट के विस्तार में उन्होंने जो योगदान दिया है, वह टाटा समूह की खुदरा क्षेत्र में बढ़ती ताकत का प्रमाण है। एक समय केवल एक स्टोर से शुरू हुई इस कंपनी ने आज अपने स्टोर्स की संख्या 890 से भी ज्यादा कर ली है, और इसकी वृद्धि दर इतनी प्रभावशाली रही है कि निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न मिला है। लिंक
टाटा ट्रस्ट की अध्यक्षता के साथ, नोएल के सामने कई चुनौतियां होंगी। उन्हें न केवल ट्रस्ट की विरासत को बनाए रखना होगा, बल्कि उसे आधुनिक भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालना होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और विज्ञान के क्षेत्रों में टाटा ट्रस्ट ने पहले से ही उल्लेखनीय योगदान दिया है, लेकिन अब डिजिटल इंडिया, महिला सशक्तिकरण, और कौशल विकास जैसे नए क्षेत्रों में काम करने की भी जरूरत होगी। नोएल का ध्यान इस बात पर रहेगा कि कैसे टाटा ट्रस्ट अपने परोपकारी कामों के साथ राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को और अधिक प्रभावी बना सके।