जाने क्या है future and option trading जो 90 प्रतिशत से ज्यादा निवेशकों को करती है कंगाल

फ्यूचर एंड ऑप्शन (Future and Option) शेयर बाजार में दो प्रकार के डेरिवेटिव्स (Derivatives) होते हैं, जो निवेशकों को भविष्य में शेयरों की कीमतों पर आधारित ट्रेड करने का मौका देते हैं। Future and Option का मुख्य उद्देश्य जोखिम को कम करना या मुनाफा कमाना होता है। चलिए इन्हें विस्तार से समझते हैं:

Future and Option

फ्यूचर (Futures):

    फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक समझौता होता है, जिसमें खरीदार और विक्रेता भविष्य में किसी निश्चित तारीख पर एक निर्धारित कीमत पर किसी संपत्ति (जैसे शेयर, कमोडिटी आदि) की खरीद या बिक्री करने के लिए तैयार होते हैं। इसका मतलब है कि आपको उस संपत्ति को उस समय पर खरीदना या बेचना पड़ेगा, भले ही बाजार में कीमत कुछ भी हो।

    उदाहरण: मान लीजिए, आप एक शेयर का फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट खरीदते हैं, जिसकी वर्तमान कीमत ₹100 है। आपको उम्मीद है कि इसकी कीमत बढ़ेगी। अगर कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर कीमत ₹120 हो जाती है, तो आपको मुनाफा होगा। यदि कीमत घटकर ₹80 हो जाती है, तो आपको नुकसान उठाना पड़ेगा।

    ऑप्शन (Options):

      ऑप्शन एक प्रकार का कॉन्ट्रैक्ट होता है, जो खरीदार को यह विकल्प (Option) देता है कि वह भविष्य में किसी संपत्ति को खरीदे या बेचे, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होता है। ऑप्शन दो प्रकार के होते हैं:

      कॉल ऑप्शन (Call Option):

      यह आपको भविष्य में किसी संपत्ति को एक निश्चित कीमत पर खरीदने का अधिकार देता है।

      पुट ऑप्शन (Put Option):

      यह आपको भविष्य में किसी संपत्ति को एक निश्चित कीमत पर बेचने का अधिकार देता है।

      उदाहरण: यदि आपने ₹100 के शेयर का कॉल ऑप्शन खरीदा और कीमत ₹120 हो गई, तो आप इसे ₹100 में खरीद सकते हैं और ₹20 का लाभ कमा सकते हैं। लेकिन अगर कीमत ₹90 हो जाती है, तो आप ऑप्शन का इस्तेमाल न करके नुकसान से बच सकते हैं। ऑप्शन खरीदने के लिए आपको एक प्रीमियम (शुल्क) देना होता है।

      रिस्क (Risk) क्या होता है?

      फ्यूचर में रिस्क:

        उच्च नुकसान: फ्यूचर में कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति पर कीमत चाहे जो भी हो, आपको उसे खरीदना या बेचना ही पड़ेगा। इससे भारी नुकसान हो सकता है, खासकर यदि बाजार की चाल आपकी उम्मीदों के विपरीत जाती है।

        मार्जिन कॉल: फ्यूचर में आपको मार्जिन मनी रखनी होती है। यदि बाजार आपके खिलाफ जाता है, तो आपको मार्जिन में और पैसा डालना पड़ सकता है, जिसे मार्जिन कॉल कहते हैं।

        ऑप्शन में रिस्क:

          प्रीमियम का नुकसान: अगर आपने ऑप्शन खरीदा है और बाजार आपकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं चला, तो आपको केवल प्रीमियम का नुकसान होगा, लेकिन इसका मतलब है कि आपको 100% नुकसान हो सकता है।

          बेचने वाले के लिए ज्यादा जोखिम: अगर आप ऑप्शन बेचते हैं (कॉल या पुट), तो आपके नुकसान की सीमा असीमित हो सकती है, क्योंकि ऑप्शन खरीदने वाले के पास उसे एक्सरसाइज करने का विकल्प होता है।

          किसके लिए उपयुक्त है?

          फ्यूचर उन निवेशकों के लिए उपयुक्त होता है जो उच्च जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं और बाजार की दिशा के बारे में निश्चित होते हैं।

          ऑप्शन उन लोगों के लिए है जो सीमित जोखिम के साथ संभावित लाभ कमाना चाहते हैं।

          इस प्रकार, फ्यूचर और ऑप्शन ( Future and Option) दोनों में संभावित लाभ और जोखिम होते हैं। इनके बारे में अच्छी तरह समझकर ही निवेश करना चाहिए, खासकर यदि आप नए निवेशक हैं।


          फ्यूचर और ऑप्शन ( Future and Option) के बारे में और गहराई से समझते हैं:

          Future and Option का विस्तार:

          फ्यूचर (Futures) का विस्तार:

            लिवरेज (Leverage):

            फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में आपको पूरे निवेश की कीमत एक साथ नहीं चुकानी होती, बल्कि आपको केवल एक मार्जिन देना होता है। मार्जिन का मतलब है कि आप केवल कुल निवेश का एक छोटा हिस्सा देकर बड़ा एक्सपोजर पा सकते हैं। इसे लिवरेज कहते हैं। यह मुनाफे को बढ़ा सकता है, लेकिन नुकसान भी उतना ही बड़ा हो सकता है।

            मार्क टू मार्केट (Mark to Market):

            फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट रोज़ाना मार्क टू मार्केट होता है, जिसका मतलब है कि हर दिन के अंत में कीमत को फिर से तय किया जाता है। अगर बाजार आपके खिलाफ जाता है, तो आपको मार्जिन अकाउंट में और पैसा डालना पड़ सकता है।

            कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति (Expiration):

            हर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की एक समाप्ति तिथि होती है, जिसे Expiry Date कहते हैं। आमतौर पर यह महीना, तिमाही या किसी विशेष समय तक होता है। उस दिन पर आपको अपने फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट को सेटल करना पड़ता है, चाहे वह लाभ में हो या हानि में।

            शॉर्ट सेलिंग (Short Selling):

            फ्यूचर आपको यह सुविधा देता है कि आप बिना किसी शेयर के मालिक बने उसे बेच सकते हैं, जिसे शॉर्ट सेलिंग कहते हैं। इसका मतलब है कि अगर आपको लगता है कि कीमत गिरने वाली है, तो आप पहले शेयर को बेच सकते हैं और बाद में उसे खरीद सकते हैं। यह गिरते बाजार में मुनाफा कमाने का अवसर देता है।

            ऑप्शन (Option) का विस्तार:

              टाइम वैल्यू और इंट्रिंसिक वैल्यू:

              ऑप्शन की कीमत (Premium) दो हिस्सों में बंटी होती है:

              इंट्रिंसिक वैल्यू (Intrinsic Value):

              यह ऑप्शन की वास्तविक कीमत होती है, जो बाजार में वर्तमान मूल्य और स्ट्राइक प्राइस के बीच के अंतर पर आधारित होती है।

              टाइम वैल्यू (Time Value):

              यह उस समय के अनुसार बदलता है जो ऑप्शन की समाप्ति तक बचा होता है। जैसे-जैसे समाप्ति की तारीख करीब आती है, ऑप्शन का टाइम वैल्यू घटता जाता है। इसे Time Decay कहते हैं।

              गामा (Gamma) और वेगा (Vega):

              ऑप्शन की कीमत में बदलाव गामा और वेगा जैसे फैक्टर्स से भी प्रभावित होती है, जो ऑप्शन की कीमत में उतार-चढ़ाव को प्रभावित करते हैं। गामा ऑप्शन की डेल्टा की गति को मापता है, जबकि वेगा वोलाटिलिटी (मूल्य में अस्थिरता) के हिसाब से प्रीमियम को बदलता है।

              राइटर का जोखिम (Writer’s Risk):

              ऑप्शन बेचने वाले व्यक्ति (राइटर) के लिए जोखिम ज्यादा होता है। यदि आपने ऑप्शन बेचा है और बाजार आपकी उम्मीद के विपरीत चलता है, तो आपके नुकसान की सीमा बहुत बढ़ सकती है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने कॉल ऑप्शन बेचा है और कीमत तेजी से बढ़ती है, तो खरीदार को शेयर सस्ते में बेचना पड़ेगा, जिससे भारी नुकसान हो सकता है।

              रिस्क और जोखिम प्रबंधन (Risk Management):

                हेजिंग (Hedging): फ्यूचर और ऑप्शन ( Future and Option) का उपयोग केवल मुनाफा कमाने के लिए ही नहीं, बल्कि जोखिम को कम करने के लिए भी किया जाता है। इसे हेजिंग कहते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी निवेशक के पास किसी शेयर का पोर्टफोलियो है और उसे बाजार में गिरावट की चिंता है, तो वह उस शेयर के खिलाफ एक पुट ऑप्शन खरीद सकता है ताकि गिरावट की स्थिति में नुकसान कम हो सके।

                स्टॉप लॉस (Stop Loss):

                निवेशक अपने जोखिम को सीमित करने के लिए Future and Option trading में स्टॉप लॉस का भी उपयोग कर सकते हैं, जिससे बाजार उनके खिलाफ जाने पर एक निश्चित सीमा पर ट्रांजेक्शन को बंद कर दे।

                अलग-अलग मार्केट में उपयोग:

                  कमोडिटी मार्केट (Commodity Market):

                  फ्यूचर और ऑप्शन ( Future and Option) का उपयोग केवल शेयर बाजार में ही नहीं, बल्कि कमोडिटी मार्केट (जैसे सोना, चांदी, तेल) में भी किया जाता है। यहां निवेशक भविष्य की कीमतों के आधार पर ट्रेड करते हैं।

                  करेंसी और बॉन्ड मार्केट:

                  Future and Option का उपयोग करेंसी और बॉन्ड मार्केट में भी होता है, जहां विदेशी मुद्रा (Forex) या सरकारी बांडों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के आधार पर ट्रेड किया जाता है।

                  निष्कर्ष:

                  फ्यूचर और ऑप्शन ( Future and Option) निवेशक को बाजार की चाल पर आधारित ट्रेडिंग के अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इसमें उच्च जोखिम होता है। अच्छे रिसर्च और रणनीति के बिना Future and Option में trading करना भारी नुकसान का कारण बन सकता है। निवेशकों को अपनी जोखिम सहनशीलता (Risk Tolerance), मार्केट की समझ और सही योजना के आधार पर ही इनमें ट्रेड करना चाहिए।

                  डिस्‍क्‍लेमर:

                  Future and Option में trading बाजार के जोखिमों के अधीन है। इस आर्टिकल का उद्देश्य वित्तीय साक्षरता प्रदान करना है, यह निवेश की सलाह नहीं है, कृपया trading से पहले अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से परामर्श अवश्य कर लें।

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