भारतीय शेयर बाजार में गिरावट (Stock Markets Crash) : कारण और विश्लेषण
बुधवार को भारतीय शेयर बाजारों में तेज गिरावट (Stock Markets Crash) का दौर जारी रहा, जिसमें निफ्टी 324 अंक गिरकर 23,559 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 984 अंक गिरकर 77,690 पर पहुंच गया। Stock Markets Crash के चलते निवेशकों को 8,28,393 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। घरेलू शेयर बाजार में लगातार पांचवें दिन आई इस गिरावट ने निवेशकों और ट्रेडर्स को निराश किया है। आइए समझते हैं, Stock Markets Crash के पीछे क्या प्रमुख कारण हैं और आगे बाजार का रुझान कैसा रह सकता है।
बाजार की मौजूदा स्थिति और गिरावट के चरण
मार्केट एक्सपर्ट अनिल सिंघवी के अनुसार, वर्तमान में Stock Markets Crash का तीसरा दौर चल रहा है। यह तीसरा दौर निम्नलिखित चरणों में घटित हुआ है:
- पहला दौर: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा की गई बिकवाली के कारण Stock Markets Crash की शुरुआत हुई।
- दूसरा दौर: कमजोर तिमाही नतीजों के कारण बाजार में और गिरावट आई।
- तीसरा दौर: खुदरा निवेशकों (Retail Investors) और उच्च नेटवर्थ वाले निवेशकों (HNIs) की घबराहट में की गई बिकवाली से इस गिरावट को और बढ़ावा मिला।
अब जब घरेलू फंड्स बेचने की प्रक्रिया में हैं, वे FIIs की बिकवाली का सामना कर रहे हैं। कमजोर तिमाही नतीजों ने भी बाजार को कोई समर्थन नहीं दिया है, जिस कारण निवेशकों में पैनिक सेलिंग का माहौल बन गया है।
गिरावट के प्रमुख कारण
Stock Markets Crash के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जो मौजूदा स्थिति को गंभीर बना रहे हैं:
- निफ्टी का 200-डे मूविंग एवरेज से नीचे आना: निफ्टी बुधवार को अपने 200 डे मूविंग एवरेज (DMA) के नीचे आ गया है, जो तकनीकी आधार पर बाजार को बेयरिश जोन में ले जाता है। इसने जून-जुलाई के बाद से निचले स्तरों को छुआ है, जिससे निवेशकों के मनोबल पर असर पड़ा है।
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आंकड़े: अमेरिकी बाजारों में उपभोक्ता महंगाई सूचकांक (CPI) के आंकड़े आने वाले हैं, जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों के रुख को निर्धारित करेंगे। अगर महंगाई बढ़कर आती है, तो ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम होगी, जिससे डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी होगी। इससे विदेशी निवेशक उभरते हुए बाजारों से अपना पैसा निकालकर, सुरक्षित निवेश विकल्पों में लगाएंगे।
- अमेरिकी राजनीतिक बदलाव: ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका में नई सरकार बन रही है। ट्रंप प्रशासन का झुकाव चीन के खिलाफ देखा गया है, लेकिन इसके रुख का प्रभाव अन्य उभरते बाजारों पर भी पड़ सकता है, जिससे निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा।
सेक्टर-विश्लेषण: मेटल, ऑटो और PSU में गिरावट
बुधवार को मेटल, ऑटो, और PSU शेयरों में सबसे अधिक गिरावट देखी गई, जिनमें 2% से अधिक की कमी आई। इन सेक्टरों में गिरावट का कारण वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग, घरेलू अर्थव्यवस्था की सुस्ती और महंगे क्रेडिट हैं। इन सेक्टरों में जारी गिरावट ने समग्र बाजार को नीचे खींचा है, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी गिरावट देखी गई है।
भविष्य के लिए निवेशकों का नजरिया
अनिल सिंघवी का मानना है कि निफ्टी 23,500-23,750 के स्तर पर आकर स्थिर हो सकता है, जो लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक अच्छा स्तर है। उनका सुझाव है कि निवेशक अगले 1-2 वर्षों के दृष्टिकोण से इन स्तरों पर सीमित निवेश कर सकते हैं। हालांकि, चौथा संभावित ट्रिगर अमेरिकी बाजारों से आ सकता है। अगर अमेरिकी बाजारों में कोई बड़ी गिरावट आती है, तो यह घरेलू बाजारों में भी गिरावट को और गहरा कर सकता है। लिंक
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार की हालिया गिरावट कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों से प्रेरित है, जिसमें FIIs की बिकवाली, कमजोर तिमाही नतीजे, और घरेलू निवेशकों की घबराहट शामिल हैं। अमेरिकी CPI आंकड़े और ट्रंप प्रशासन के नीतिगत निर्णयों के कारण अगले कुछ हफ्तों में बाजार में और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशकों को इस समय संयम बनाए रखने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश करने की सलाह दी जा रही है।