भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत: foreign-exchange reserves (विदेशी मुद्रा भंडार) में चौथा(4th) स्थान

भारत ने एक बार फिर अपनी आर्थिक शक्ति का प्रदर्शन किया है और वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। foreign-exchange reserves के मामले में भारत अब चौथे स्थान पर पहुंच गया है, जो इसे चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद की पंक्ति में खड़ा करता है।

यह प्रगति उन दिनों से बहुत दूर है जब भारत को ‘कमजोर पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था। अब भारत तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो दुनिया भर के अन्य विकासशील देशों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।

भारत का foreign-exchange reserves: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

भारत ने न केवल पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का खिताब हासिल किया है, बल्कि foreign-exchange reserves के मामले में भी एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का foreign-exchange reserves एक हफ्ते में 12.588 बिलियन डॉलर बढ़कर 704.885 बिलियन डॉलर के अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो न केवल आर्थिक स्थिरता का संकेत है, बल्कि एक सुदृढ़ आर्थिक भविष्य की ओर संकेत करता है।

foreign-exchange reserves में आई गिरावट और इसका प्रभाव

हालांकि, पिछले कुछ समय में भारत के foreign-exchange reserves में मामूली गिरावट आई है। यह कमी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रुपए की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप के कारण हुई है। 25 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का foreign-exchange reserves 3.463 बिलियन डॉलर घटकर 684.805 बिलियन डॉलर पर आ गया।

इससे पिछले सप्ताह में यह 2.163 बिलियन डॉलर घटकर 688.267 बिलियन डॉलर रह गया था। हालांकि यह गिरावट चिंता का कारण नहीं है क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार का यह स्तर अभी भी भारत की घरेलू आर्थिक गतिविधियों को वैश्विक संकटों से बचाने के लिए पर्याप्त है।

foreign-exchange reserves का महत्व और उपयोग

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता और सुदृढ़ता का प्रतीक होता है। ये भंडार आयात-निर्यात में संतुलन बनाए रखने और वैश्विक आर्थिक झटकों से देश को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अनुमानों के अनुसार, भारत का वर्तमान विदेशी मुद्रा भंडार आयात के एक वर्ष या उससे अधिक को कवर करने के लिए पर्याप्त है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत अचानक उत्पन्न होने वाले आर्थिक संकटों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है।

किस मुद्रा में रखा जाता है foreign-exchange reserves?

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का अधिकांश हिस्सा प्रमुख रिजर्व मुद्राओं में रखा जाता है। इसमें अमेरिकी डॉलर का सर्वाधिक योगदान होता है, जबकि कुछ हिस्सा यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग में भी रखा जाता है। इन मुद्राओं में भंडार रखने से भारतीय रिजर्व बैंक को विदेशी बाजारों में प्रभावी हस्तक्षेप करने की सुविधा मिलती है। अक्सर रुपया जब दबाव में होता है, तो RBI डॉलर की बिक्री और अन्य तरलता प्रबंधन उपायों के माध्यम से रुपए की कीमत को स्थिर बनाए रखने का प्रयास करता है।लिंक

भारत का बढ़ता आर्थिक आत्मविश्वास

भारत के बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार ने वैश्विक स्तर पर एक मजबूत संदेश भेजा है। यह न केवल भारत की बढ़ती आर्थिक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि यह दर्शाता है कि देश एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। जिस तरह से भारत ने ‘कमजोर पांच’ की श्रेणी से निकलकर एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था के रूप में खुद को स्थापित किया है, वह एक प्रेरणादायक कहानी है।

निष्कर्ष

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय अपने सर्वोत्तम स्तर पर है, जो देश के आर्थिक भविष्य के प्रति विश्वास को और मजबूत करता है। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच यह भंडार भारत को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है और विकास के लिए अवसरों का द्वार खोलता है।

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